अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन छार लगाये ॥
पण्डित त्रयोदशी को लावे। ध्यान पूर्वक होम करावे ॥
मैना मातु की ह्वै दुलारी। बाम अंग सोहत छवि न्यारी॥
नमो नमो जय नमो शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥
एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
भजन: शिव शंकर को जिसने पूजा उसका ही उद्धार हुआ
अर्थ- आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन कोई नहीं कर सकता।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा। नारद सारद सहित अहीसा।।
सोमवार के दिन आप सब से जल्दी उठ जाए और उसके बाद स्नान करें फिर पूजा घर में शिव जी माता पार्वती और नंदी को स्थापित करें तथा उन पर गंगा जल चढ़ाएं उसके उपरांत भगवान शिव की प्रतिमा पर तिलक लगाएं और पूजा आरंभ करें ध्यान रखें जी आप सबसे पहले गणेश भगवान की आरती करें और उसके बाद ही आप शिवजी की चालीसा करें शिवजी पर बेलपत्र अवश्य चढ़ाएं.
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावे ॥ ॐ जय शिव…॥
अर्थ: हे प्रभु वैसे तो जगत के नातों में माता-पिता, भाई-बंधु, नाते-रिश्तेदार सब होते हैं, लेकिन विपदा पड़ने पर कोई भी साथ नहीं देता। हे स्वामी, बस आपकी ही आस है, आकर मेरे संकटों को हर लो। आपने सदा निर्धन को धन दिया है, जिसने जैसा फल चाहा, आपकी भक्ति से वैसा फल प्राप्त किया है। हम आपकी स्तुति, आपकी प्रार्थना किस विधि से करें अर्थात हम अज्ञानी है प्रभु, अगर आपकी पूजा करने में कोई चूक हुई हो तो हे स्वामी, हमें क्षमा कर देना।
सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥
मातु पिता भ्राता सब कोई। संकट में पूछत नहिं कोई॥
कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर website । भये प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥